आओ चलें, आनन्द की ओर


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    आओ चलें, आनन्द की ओर
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🔷 विचार करें, संसार से मिलने वाली खुशी ज्यादा देर टिकने वाली नहीं है । क्योंकि सदा संसार ही टिकने वाला नहीं है । संसार हर पल बदल रहा है, इसलिए संसार से मिली हुई खुशी कैसे स्थिर रह सकती है ? यह भी याद रहे कि संसार से मिलने वाली खुशी जितनी ज्यादा होगी, उस खुशी में दु:ख की सम्भावना भी उतनी ही ज्यादा होगी ।

🔶 जो खुशी बिना कारण अन्दर से आती है यानि जो खुशी हमारे अस्तित्व से, हमारे होने से आती है वो खुशी सदा सर्वदा है और कभी जाने वाली नहीं है, उसे ही आनन्द कहा गया है । यह आनन्द बिल्कुल हमारे श्वांस के साथ हर पल हमारे साथ रहेगा और इस आनन्द की अनुभूति तब होगी जब हमारे विचार हमारा ध्यान बाहरी वस्तुओं से, हमारे विचारों से हटेगा । जब हम स्वस्थ होंगे, स्वयं में स्थित होंगें, तभी हमारे हृदय रुपी सरोवर में विचारों की तरंगे शान्त होंगी और हमें परम् आनन्द की प्राप्ति होगी ।

                                                  राधे राधे कृष्णा

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