⭕ देश के लिए शक्ति प्रदर्शन


⭕ देश के लिए शक्ति प्रदर्शन
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🔶 मैंने कहीं पढ़ा था कि किसी देश में मार्ग (सड़क) बनाने के लिए रास्ते में आए हुए उन वृक्षों को काटा नहीं जाता था, बल्कि इक्ट्ठे होकर सामुहिक रुप से उन वृक्षों को बद्दुआ दी जाती थी, जिससे वे वृक्ष सूखकर स्वयं ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते और लोग उन सूखे वृक्षों को हटाकर अपना मार्ग बना लेते ।

🔶 इसी तरह से 'सामुहिक प्रार्थना' की जाती है । एक ही समय में एक कृत्य, एक विचार, एक प्रार्थना, एक भाव मिलकर एक शक्तिपुंज का निर्माण करते हैं । यह एक प्रक्रिया है जिससे हम विश्व कल्याण के लिए ईश्वरीय प्रार्थना एवं समर्पण कर सकते हैं ।

🔶 कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी व अमावस्या को काली शक्तियों का प्रभाव अन्य दिनों की अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को तो साक्षात मृत्यु के देवता यमराज का दिन माना जाता है । इसीलिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में (दीपावली से पहले) त्रयोदशी तिथि को सभी अपने अपने घरों के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल डालकर 'यम दीया' जलाते हैं, जिसमें एक सिक्का (रुपया) भी डाला जाता है । मान्यता है कि इससे मृत्यु के देवता यमराज प्रसन्न होते हैं और जन मानस के मन मस्तिष्क से मृत्यु का भय समाप्त होकर उन्हें अभय प्राप्त होता है ।

🔶 संयोग से आज भी रविवार, 5 अप्रैल की शाम को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का उदय हो रहा है । धर्म ग्रंथों के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की देवी 'जया' हैं, जो देवी दुर्गा के साथ चलने वाली 'योगिनी' है । यही देवी युद्ध के मैदान में आगे बढ़कर योद्धाओं को विजयी बनाती है । इसलिए 'कोरोना महामारी' के भयंकर प्रभाव को देखते हुए आज भी त्रयोदशी तिथि को एक दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके जलाना बड़ा ही शुभ फलदायी माना जाएगा और यदि यह कार्य पूरे देश में एक ही समय में, एक साथ किया जाए तो यह एक शक्तिपुंज के रुप में उभरकर प्रकट हो जाएगा, जो शक्तिपुंज इस भयंकर महामारी से पूरे देश की रक्षा करेगा ।

🔶 यहाँ आपको बता दें कि दीप सदैव विषम संख्या में प्रज्ज्वलित करना चाहिए, जैसे 1, 3, 5, 7, 9, 11 इत्यादि । प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी देशवासियों को आज रविवार, 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे निश्चित समय पर ही अपने अपने घरों में 9 मिनट तक दीपक जलाने का आग्रह किया है और मैं समझता हूँ कि प्रत्येक देशवासी को प्रधानमन्त्री का यह आग्रह हृदय से स्वीकार करना चाहिए । इसमें सबका मङ्गल होगा ।

                                                              राधे राधे कृष्णा

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