एक जनवरी 2021 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) से जुड़े अहम नियम में बदलाव होने जा रहा है। अगले साल से उन कंपनियों के लिए जीएसटी ई-इनवॉइसिंग अनिवार्य हो जाएगा जिनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। जबकि पहले यह लिमिट 500 करोड़ रुपये थी। 



इस संदर्भ में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) ने अधिसूचना जारी की। अधिसूचना में कहा गया है कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिश पर यह बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था एक जनवरी 2021 से लागू होगी।



इस बदलाव से बड़ी संख्या में मझोली कंपनियां ई-इनवॉइसिंग के दायरे में आएंगी और माना जा रहा है कि एक अप्रैल 2021 से इसे सभी टैक्सपेयर्स के लिए बी2बी ट्रांजैक्शन के वास्ते अनिवार्य कर दिया जाएगा। केएमपीजी इंडिया में पार्टनर (इनडायरेक्ट टैक्सेज) हरप्रीत सिंह ने कहा कि 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले डीलरों को ई-इनवॉइसिंग के दायरे में लाना अर्थव्यवस्था के फॉर्मेलाइजेशन की दिशा में एक और कदम है।


मालूम हो कि जीएसटी कानून के अनुसार, बी-टू-बी ट्रांजैक्शन के लिए एक अक्तूबर 2020 से 500 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-इनवॉइस अनिवार्य किया गया था। लेकिन अब अगले साल से सालाना 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए भी ई-इनवॉइस अनिवार्य होगा। इसके लिए कंपनियों को नए रेग्युलेशन के हिसाब से अपने बिलिंग सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करना होगा।


सरकार के इस कदम से कर चोरी की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी। ई-इनवॉइस व्यवस्था से कंपनियों के लिए रिटर्न भरने के बोझ में काफी कमी आएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि रिटर्न फॉर्म में इनवॉइस से संबंधित डाटा अपने-आप दिखाई देगा। 



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